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आज का प्रश्न 23/10/2012

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आज का प्रश्न 23/10/2012
ना काहू से बैर।
मांगूँ सबकी खैर।।
ईश्वर के बाद आपको सबसे अधिक शुक्र गुजार होना चाहिए अपने माता पिता का, जिन्होंने अप्पको जन्म दिया, पालन पोषण कर इतना बड़ा कर दिया। एक बार मैंने अपने एक विद्यार्थी से पूछा कि अगर मैं अपनी वसीयत में अपनी सम्पति का एक हिस्सा तुम्हारे नाम कर जाऊ तो तुम उस संपत्ति का क्या करोगे? उसने कहा मैं उसे आपकी इच्छानुसार उसका सदुपयोग करूँगा, आपके अधूरे कार्यों को पूरा करूँगा, आपकी अंतिम इच्छा पूरी करूँगा। मैंने उससे अगला प्रश्न किया। अगर आपके पिता जी आपके लिए उसकी दस गुना संपत्ति छोड़कर तो उसका क्या करोगे? उसने छूटते ही जबाब दिया सर जी, उस पैसे पर मेरा जन्म सिद्ध अधिकार होगा। मैं जैसी मर्जी हो उसे खर्च कर सकता हूँ। उपने शौक पुरे कर सकता हूँ। मौज मस्ती कर सकता हूँ। मैं चाहूँ तो उसे बर्बाद भी कर सकता हूँ। मैं भौचक्का रह गया यह देख और सुनकर कि आखिर माता पिता किस हसरत के साथ बच्चो को पालते हैं। ज्यादातर माता पिता यही सोचते है कि ” मेरा नाम करेगा रोशन , जग में मेरा राजदुलारा ” साथ ही कहीं न कहीं मन में यह भी सोचते हैं, कि मेरे बच्चे हमारे बुदापे का सहारा बनेंगें। आज मैं सभी माता पिता के उनके अपने प्राणों से प्रिय बेटों बेटियों से जानना चाहता हूँ कि-
350- आपके माता पिता जिस चाव से आपकी परवरिश कर रहे है या किया था, वह आपका अधिकार है? या उनका प्यार है? या उनकी आप पर कृपा है? या उनका स्वार्थ है?
351- क्या आप अपने माता पिता को उतना ही प्यार करते है? जितना वह आपसे करते है।
352- यदि हाँ तो क्या कभी अपने शब्दों से या अपने व्यव्हार से इसे उनपर प्रगट किया है?
353- यदि प्रगट नहीं किया तो आखिर क्यों?
354- आपके माता पिता ने बचपन में जिस चाव से आपकी परवरिश किया था। क्या आप उनके बुदापे में उसी चाव से परवरिश कर रहे हैं?
355- यदि नहीं तो आखिर क्यों?
356- अपनी हैसियत के अनुसार जिस प्राथमिकता से आप अपने बच्चों की परवरिश कर रहे है, आपके माता पिता ने अपनी हैसियत के अनुसार कहीं अधिक प्राथमिकता से आपकी परवरिश किया था। क्या यह तथ्य आपको पता है?
357- आप अपने बच्चों से बुढापे में जिस तरह के व्यव्हार एवं परवरिश की अपेच्छा रखतें हैं, क्या अपने माता पिता के साथ वैसा ही किया? यदि नहीं किया तो तो मैं दावा करता हूँ, कि आपका यह सपना सपना ही रहेगा।
358- क्या आपको यह याद है कि आपके माता पिता आपको प्रशन्न रखने के लिए क्या क्या प्रयत्न करते थे?
क्या आप उनकों पसन्न रखने के लिए उसका दसवा हिस्सा भी प्रयत्न कर रहे है?
359- यदि नहीं तो आखिर क्यों?
360- परिवारिक मूल्यों के भारतीय मानक एवं परम्पराएं क्या रही हैं?
361- क्या आपके माता पिता ने अपने जीवन की पूरी कमाई आपकी परवरिश में लगाकर अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल की है?
362- यदि नहीं तो आपका उनके प्रति क्या कर्तव्य है?
363- आपके अनुसार क्या यह सही है? कि आपके रहते हुए आपके माता पिता निराश्रित ब्रद्धाश्रम में रहें।
364- यदि हाँ तो क्या आपने अपने लिए किसी ब्रद्धाश्रम में एक चारपाई सुरक्षित करवाई? यदि नहीं तो करवा लीजिये। नहीं तो बड़ी दुर्गति होने वाली है आपकी। फिर यह न कहना कि किसी ने आपको चेताया नहीं।
365- आप पर सबसे पहला हक़ किसका है? पत्नी का? बच्चों का? पिता का? माता का? या फिर किसी और का?
365- आप यदि कई भाई बहन हैं तो माता पिता पर पहला अधिकार किसका है?
366- आप यदि कई भाई बहन हैं तो माता पिता के प्रति सबसे अधिक कर्तव्य किसका है?
367- क्या आप ने कभी सोचा है कि अगर आप बचपन में अनाथ हो गए होते तो आज क्या होते?
यदि नहीं तो देखिये उन्हें जो बचपन में ही अनाथ हो गए थे।
अब मैं आपको क्या क्या समझाऊ? आपतो स्वयं समझदार हैं। अंत में मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि राजा दशरथ एवं श्रवण कुमार के बारे में जरुर पढ़िएगा।
आपका सारगर्भित, मूल्यवान एवं बुधिमत्ता पूर्ण प्रश्न किसी को सत्यान्वेषण के लिए प्रेरित कर सकता है।
अतः यदि आपके पास ऐसा कोई प्रश्न है तो सदस्यों से पूछे। सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपने स्वाभाविक
निरीक्षण के आधार पर उत्तर दे। हो सकता है कि आपका उत्तर किसी के या स्वयं आपके जीवन को बदल दे।
सावधानी – मेरे प्रश्नों को किसी विचारधारा का संकेत नहीं समझाना चाहिए, बल्कि एक सर्वोचित,सर्वमान्य, सर्वग्राह्य विचार धारा को विकसित करने का प्रयास मात्र समझना चाहिए , जो कि आपके विश्लेष्णात्मक उत्तरों से ही संभव है। किसी एक व्यक्ति का उत्तर किसी विचारधारा, मान्यता या पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकता है अतः जब तक किसी प्रश्नका सर्वोचित, सर्वमान्य, सर्वग्राह्य उत्तर न मिल जाये विचार विमर्श चलते रहना चाहिये। मैं जो सोच रहा हूँ वही सही है यह तो अज्ञानता है। हाँ अपने विचारो को दूसरों के सामने रखने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। लोगो को आपका विचार पसंद आताहै तो माने, नहीं आता तो नहीं माने। आप केवल परमपिता परमात्मा से उनकेकल्याण के लिए प्रार्थना अवश्य कर सकते है।
जरा गंभीरता से सोच कर बताना, कोई जल्दबाजी नहीं?
Please share with your family members, friends and relatives

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