Menu
blogid : 12290 postid : 61

आज का प्रश्न 29/10/2012

Fine Future Programs
Fine Future Programs
  • 112 Posts
  • 76 Comments

आज का प्रश्न 29/10/2012
ना काहू से बैर।
मांगूँ सबकी खैर।।
माता-पिता, भाई-बहन , बेटा-बेटी, पति-पत्नी सब बहुत नजदीकी रिश्ते होते हैं। परन्तु कई बार अपने मन की ब्यथा शायद इनके सामने व्यक्त नहीं कर पाते। कारण यह नहीं कि हमारे यह लोग हमारे मन की ब्यथा को समझेंगे नहीं या फिर हमारी सहायता नहीं करेंगे। बल्कि इसका मुख्य कारण यह होता है कि हम इन लोगों से इतना प्यार करते है, कि अपने मन की ब्यथा इन लोगों को बताकर इन्हें भी परेशान नहीं करना चाहते। एक यह भी कारण होता है कि इन रिश्तों के प्रति आदर एवं सम्मान के कारण अपने मन की बात इन लोंगों के सामने रखने में हिचकते है। ऐसे में आदमी किससे कहे , किससे सहायता माँगें? ऐसे समय व्यक्ति को याद आते हैं, चंद ऐसे नजदीकी मित्र जिनसे कभी कुछ भी कहने में हिचके नहीं। जिन्होंने कई बार आड़े समय में मदद भी दी। फलस्वरूप एक विश्वास का रिश्ता बन गया इन लोगों के साथ। फिर भी कभी कभी देखा गया है कि सबसे अच्छा मित्र सबसे बड़ा दुश्मन बन गया, और जिनसे हमारा हमेशा झगड़ा होता रहता था अचानक एक अच्छे मित्र के रूप में परिवर्तित हो जाता है। वास्तव में मित्रता का रिश्ता मात्र विश्वास पर टिका होता है , आदमी दिल से मजबूर न हो तो यह रिश्ता निभाना सामाजिक मजबूरी नहीं होता है, जैसी मजबूरी पति-पत्नी के रिश्ते को निभाने में होती है। दोस्ती में आदमी विश्वासघात सहन नहीं कर पता है। और दोस्ती की मजबूत गांठ कच्चे धागे की तरह टूट जाती है। पर हमें विचार करना चाहिए की दोस्त भी एक आदमी होता है, वह भी हो सकता है कि किसी परिस्थितिवश आपके विश्वास पर खरा न उतरा हो, ऐसा कई बार खून के रिश्तों में भी होता है और उन्हें हम मांफ़ भी कर देते है तो दोस्त को क्यों नहीं मांफ कर सकते है। दोस्ती हमारे लिए एक अमूल्य निधि होती है इसे भी हमें खून के रिस्तों की तरह निभाना चाहिए।
आज मैं अपने प्रश्नों को आप और आप के मित्रो पर ही केन्द्रित करता हूँ।
453- मित्र किसे कहते हैं?
454- आपके कितने मित्र है? उनके नाम क्या हैं?
455- क्या आपको याद है कि आपका मित्र, आपका मित्र कैसे और किन परिस्थितियों में बना?
456- क्या आपको याद है कि आपके मित्र ने आपकी किस किस कठिन परिस्थितियों में आपका सहयोग किया?
457- क्या आपको याद है कि आपने अपने मित्र को खुस रखने के लिए क्या क्या नहीं किया?
458- क्या आपका कोई मित्र ऐसा है कि , आज आपके नजदीक होते हुए भी बहुत दूर चला गया है?
459- क्या उसको भुला पाना आपके बश में है?
460- क्या कारण है कि आप और आपके दोस्त के बीच बन गई खाई या दीवार हट नहीं पा रही है?
461- क्या आपके न चाहते हुए भी आपका दोस्त आपको सपने में दिख जाता है?
462- क्या आपने अपने दोस्त की मजबूरी समझाने की कोशिश कि किन परिस्थितियों में उसने आपका विश्वास तोड़ा?
463- कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने ऐसे व्यक्ति को अपना दोस्त मान लिया हो, जो वाकई आपका दोस्त था ही नहीं? वह मात्र स्वार्थ वश आपके नजदीक आया हो।
464-यदि ऐसा कोई व्यक्ति आपके जीवन से दूर चला गया हो तो , क्या ईश्वर की आपके ऊपर महान कृपा है?
465-और यदि आपको लगता है कि वह स्वार्थी नहीं था आपका वास्तविक मित्र था तो आपने भ्रम को मिटाने का प्रयत्न किया?
466- यदि नहीं किया तो आखिर क्यों?
मैं बताऊ यह आपका स्वाभिमान नहीं , झूठा अभिमान है , जो आपको आपके अपने सच्चे मित्र से दूर किये है। जाइये अपने मित्र को मनाइये और खुसिया मनाइए। कृष्ण और सुदामा की तरह मित्रता निभाइए। सच्चे मित्र से दूरी बनाना बुद्धिमानी नहीं है?

आपका सारगर्भित, मूल्यवान एवं बुधिमत्ता पूर्ण प्रश्न किसी को सत्यान्वेषण के लिए प्रेरित कर सकता है।
अतः यदि आपके पास ऐसा कोई प्रश्न है तो सदस्यों से पूछे। सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपने स्वाभाविक
निरीक्षण के आधार पर उत्तर दे। हो सकता है कि आपका उत्तर किसी के या स्वयं आपके जीवन को बदल दे।
सावधानी – मेरे प्रश्नों को किसी विचारधारा का संकेत नहीं समझाना चाहिए, बल्कि एक सर्वोचित,सर्वमान्य, सर्वग्राह्य विचार धारा को विकसित करने का प्रयास मात्र समझना चाहिए , जो कि आपके विश्लेष्णात्मक उत्तरों से ही संभव है। किसी एक व्यक्ति का उत्तर किसी विचारधारा, मान्यता या पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकता है अतः जब तक किसी प्रश्नका सर्वोचित, सर्वमान्य, सर्वग्राह्य उत्तर न मिल जाये विचार विमर्श चलते रहना चाहिये। मैं जो सोच रहा हूँ वही सही है यह तो अज्ञानता है। हाँ अपने विचारो को दूसरों के सामने रखने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। लोगो को आपका विचार पसंद आताहै तो माने, नहीं आता तो नहीं माने। आप केवल परमपिता परमात्मा से उनकेकल्याण के लिए प्रार्थना अवश्य कर सकते है।
जरा गंभीरता से सोच कर बताना, कोई जल्दबाजी नहीं?
Please share with your family members, friends and relatives

Tags:      

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply