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आज का प्रश्न 15/11/2012

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आज का प्रश्न 15/11/2012

ना काहू से बैर।
मांगूँ सबकी खैर।।
आज मैं अपने प्रश्नों को आप पर केन्द्रित करता हूँ।
प्राचीन समय में पृथ्वी वनों से आच्छादित थी। जिसके कारण पर्यावरण शुद्ध था। भूमिगत जल स्तर प्रथ्वी की सतह से काफी कम गहराई पर था। जनसंख्या कम थी। परिणाम अच्छा स्वास्थ्य, खुशहाली, प्रसन्नता इत्यादि।मुझे ऐसा अहसास हो रहा है कि पहले हर संस्कार (सोलह संस्कार) में, हर उत्सव में, अपने पत्येक प्रियजन की याद में, उनके मिलन पर, उनके विछोह में पेड़ लगाना लोगों के संस्कार तथा परम्परा में था। तभी तो आज की अपेक्षा जनसंख्या कम होने के बावजूद पेड़ो की संख्या ज्यादा थी। पेड़ो से ही जीव जन्तुओं का जीवन है। यदि पृथ्वी पर जीवन कायम रखना है तो वृक्षारोपण को हमारे संस्कार एवं परम्परा का एक अनिवार्य हिस्सा हिस्सा बनाना होगा। वनों के लगातार काटने से वन देवता मनुष्य पर कुपित है। परिणाम अशुद्ध पर्यावरण, तरह-तरह की बीमारियाँ, जल की कमी और न जाने क्या-क्या।
मैं आज आपसे जानना चाहता हूँ कि –
736- हमें किन किन अवसरों पर वृक्षारोपण करना चाहिए?
737- हमें किन-किन लोगों की याद में वृक्षारोपण करना चाहिए?
738- हमें अपने को अमर रखने के लिए कितने पेड़ लगाने चाहिए?
739- हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए कम से कम कितने पेड़ लगने चाहिए?
740- क्या पेड़ लगाना हमारे संस्कारों एवं मूल्यों का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए?
741- क्या पेड़ लगाना हमारे रीति रिवाज़ों का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए?
742- पेड़ों को काटने से बचाने के लिए हम क्या उपाय कर सकते हैं?
743- पेड़ों की हमारे जीवन में क्या-क्या उपयोगिता है?
744- पेड़ हमें किस किस तरह से समृद्ध बनाते है?
745- वृक्षारोपण आन्दोलन को प्रभावी बनाने के लिए आपका क्या सुझाव है?
746- आप अपने जीवन काल में कम से कम कितने वृक्ष लगाने का प्रयास करेंगे?
अंत में मई कहना चाहूँगा कि-

खेल खेल में वृक्ष लगाओ।
हेल मेल में वृक्ष लगाओ।
यादगार में वृक्ष लगाओ।
जन्म मृत्यु में वृक्ष लगाओ।
अन्न प्राशन में वृक्ष लगाओ।
छठी मुंडन में वृक्ष लगाओं।
जनेऊ संस्कार में वृक्ष लगाओ।
शादी में दो वृक्ष लगाओ।
विरासत में सौ वृक्ष लगाओ।
हर सुख दुःख में एक वृक्ष लगाओ।
जब जब मन करे एक वृक्ष लगाओ।
इसे संस्कार का अंग बनाओ।
इसे परंपरा का अंग बनाओ।
नाचो गाओ खुशिया मानों।
फल आये तो मिलकर खाओ।
जन्म अपना सफल बनाओ।

ॐ शांति: शांति: शांति।।
आपका सारगर्भित, मूल्यवान एवं बुधिमत्ता पूर्ण प्रश्न किसी को सत्यान्वेषण के लिए प्रेरित कर सकता है।
अतः यदि आपके पास ऐसा कोई प्रश्न है तो सदस्यों से पूछे। सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपने स्वाभाविक
निरीक्षण के आधार पर उत्तर दे। हो सकता है कि आपका उत्तर किसी के या स्वयं आपके जीवन को बदल दे।
सावधानी – मेरे प्रश्नों को किसी विचारधारा का संकेत नहीं समझाना चाहिए, बल्कि एक सर्वोचित,सर्वमान्य, सर्वग्राह्य विचार धारा को विकसित करने का प्रयास मात्र समझना चाहिए , जो कि आपके विश्लेष्णात्मक उत्तरों से ही संभव है। किसी एक व्यक्ति का उत्तर किसी विचारधारा, मान्यता या पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकता है अतः जब तक किसी प्रश्न का सर्वोचित, सर्वमान्य, सर्वग्राह्य उत्तर न मिल जाये विचार विमर्श चलते रहना चाहिये। मैं जो सोच रहा हूँ वही सही है यह तो अज्ञानता है। हाँ अपने विचारो को दूसरों के सामने रखने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। लोगो को आपका विचार पसंद आता है तो माने, नहीं आता तो नहीं माने। आप केवल परमपिता परमात्मा से उनके कल्याण के लिए प्रार्थना अवश्य कर सकते है।
जरा गंभीरता से सोच कर बताना, कोई जल्दबाजी नहीं?
Please share with your family members, friends and relatives

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