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आज का प्रश्न 26/11/2012

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आज का प्रश्न 26/11/2012
ना काहू से बैर।
मांगूँ सबकी खैर।।
आज मैं अपने प्रश्नों को आप पर केन्द्रित करता हूँ।
जीवन और मृत्यु ब्यक्ति के जीवन में दो ऐसी घटनाये है जिनपर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। दोनों घटनाओं में मनुष्य असीम वेदना से गुजरता है। जन्म के समय एक मुक्त आत्मा से मानव शरीर में बंधने की पीड़ा। धीरे धीरे मनुष्य इस बंधन को स्वीकार लेता है। इसी में उसे प्रसन्नता मिलने लगाती है। अन्ततः जब इस शरीर से मुक्त होने का शुभ अवसर आने वाला होता है तो मनुष्य इन झूठे बंधनों को ही सच मानाने लगता है और इनसे मुक्त होने में असीम वेदना का अनुभव करता है। यह कैसी विडम्बना है मनुष्य के साथ। इसी को जानने के लिए
मैं आज आप से जानना चाहता हूँ कि –
861- क्या जीवन एक अनन्त प्रवाहमान अक्षय उर्जा का एक ठहरा हुआ पल है? जिसका प्रारंभ जन्म से होता है और अंत म्रत्यु से।
862- क्या जन्म से पहले आप अनन्त प्रवाहमान अक्षय उर्जा का अंश थे?
863- क्या मृत्यु के उपरान्त भी आप अनन्त प्रवाहमान अक्षय उर्जा का अंश रहेंगे?
864- क्या आप जन्म और म्रत्यु के बीच भी यानि की जीवन काल में भी मुक्त रहना चाहेंगे?
865- यदि हाँ तो आपने अभी तक क्या प्रयास किया है?
यदि हाँ तो बहुत अच्छी बात है। यदि नहीं तो कृपया सीख लें पता नहीं कब जीवन का अंत आ जाये।
ॐ शांति: शांति: शांति।।
आपका सारगर्भित, मूल्यवान एवं बुधिमत्ता पूर्ण प्रश्न किसी को सत्यान्वेषण के लिए प्रेरित कर सकता है।
अतः यदि आपके पास ऐसा कोई प्रश्न है तो सदस्यों से पूछे। सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपने स्वाभाविक
निरीक्षण के आधार पर उत्तर दे। हो सकता है कि आपका उत्तर किसी के या स्वयं आपके जीवन को बदल दे।
सावधानी – मेरे प्रश्नों को किसी विचारधारा का संकेत नहीं समझाना चाहिए, बल्कि एक सर्वोचित,सर्वमान्य, सर्वग्राह्य विचार धारा को विकसित करने का प्रयास मात्र समझना चाहिए , जो कि आपके विश्लेष्णात्मक उत्तरों से ही संभव है। किसी एक व्यक्ति का उत्तर किसी विचारधारा, मान्यता या पूर्वाग्रह से ग्रसित हो सकता है अतः जब तक किसी प्रश्न का सर्वोचित, सर्वमान्य, सर्वग्राह्य उत्तर न मिल जाये विचार विमर्श चलते रहना चाहिये। मैं जो सोच रहा हूँ वही सही है यह तो अज्ञानता है। हाँ अपने विचारो को दूसरों के सामने रखने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। लोगो को आपका विचार पसंद आता है तो माने, नहीं आता तो नहीं माने। आप केवल परमपिता परमात्मा से उनके कल्याण के लिए प्रार्थना अवश्य कर सकते है।
जरा गंभीरता से सोच कर बताना, कोई जल्दबाजी नहीं?
Please share with your family members, friends and relatives.

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